लेखनी प्रतियोगिता -03-May-2024
#दिनांक:-3/5/2024
#शीर्षक:-ताउम्र हसीं प्यार तो मुझको चलाना
तेरी ही शिकायत अब किससे करूँ भला,
ज़र्रे-जर्रे से चुनौती मगर विश्वास था तू अपना।
छोटी सी जिरह से ख्याल बदल गए तेरे,
हसीन होंगे लम्हे पूरा हो अपना सपना।
या कि रूकी गाड़ी यही पर उतर जाना है।
अब तो बता नसीब तुझे किसका साथ निभाना,
माना कि प्यार की बेकरारी मैंने जगाई ,
ताउम्र हसीं प्यार तो मुझको चलाना ।
क्या अभी भी एक बूँद नहीं पहुंचा मेरा रस,
क्या झूठा फरेब वह बाँहों में टूटती नश ।
अगर सब झूठ तो मैं सच कैसे हो सकती हूँ ,
सब चकनाचूर हुआ एक पल में जो बनाया था जस ।
अब नयन अश्रु धार से चेहरा मुरझाना ही था,
मजबूत विश्वास को अब चकनाचूर होना ही था।
इस कदर खुद भी टूट कर बिखर गई हूँ हे प्रियवर !
हो गई अब वो भी खता जो कभी होना ही नहीं था ।
(स्वरचित)
प्रतिभा पाण्डेय "प्रति"
चेन्नई
Mohammed urooj khan
04-May-2024 12:24 PM
👌🏾👌🏾👌🏾
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Varsha_Upadhyay
03-May-2024 10:56 PM
Nice
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Babita patel
03-May-2024 02:45 PM
V nice
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